आ रही है अमर होने की दवा! लेकिन हर किसी को नहीं मिलेगी, फिर कौन देने वाला है खुशखबरी

Immortality Drug: ऐसा लगता है कि वो समय आ गया है जब विज्ञान भगवान को पीछे छोड़ने का आखिरी दांव चलने वाला है. एक तरफ अकूत पैसा बढ़ते इंसानी ख्वाहिशें भी बढ़ा रहा है तो वहींअमर होने का ख्वाब देख रहा है. वैसे भी सदियों से इंसान अमरता के ख्वाब देखता आया

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Immortality Drug: ऐसा लगता है कि वो समय आ गया है जब विज्ञान भगवान को पीछे छोड़ने का आखिरी दांव चलने वाला है. एक तरफ अकूत पैसा बढ़ते इंसानी ख्वाहिशें भी बढ़ा रहा है तो वहींअमर होने का ख्वाब देख रहा है. वैसे भी सदियों से इंसान अमरता के ख्वाब देखता आया है. और अब इस सपने को हकीकत में बदलने की कोशिशें तेज हो गई हैं. न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के कुछ सबसे अमीर लोग ऐसी दवाओं और तकनीकों पर भारी निवेश कर रहे हैं, जो उम्र बढ़ाने या अमरता देने में सक्षम हो सकती हैं. ऐसा माना जा रहा है कि वो दवा आ ही जाएगी.

बेजोस.. आल्टमैन तक कर रहे निवेश.. रिपोर्ट्स के मुताबिक दिग्गज कंपनियों के मालिक इस क्षेत्र में भारी पूंजी लगा रहे हैं. अमेजन के सीईओ जेफ बेजोस ने अपनी कंपनी Altos Labs में $3 बिलियन का निवेश किया है. यह अब तक की सबसे बड़ी बायोटेक कंपनी मानी जा रही है, जो बायोलॉजिकल रीप्रोग्रामिंग तकनीक पर काम कर रही है. इसी तरह, PayPal के सह-संस्थापक पीटर थील ने Methuselah Foundation में निवेश किया है, जो उम्र बढ़ाने और बीमारियों को रोकने पर काम कर रही है. चैटजीपीटी के निर्माता सैम आल्टमैन ने भी Retro BioScience में $180 मिलियन लगाए हैं.

लैब में जवान हो रही कोशिकाएं इन तकनीकों में कोशिकाओं को फिर से जवान बनाने का दावा किया जा रहा है. हाल ही में लंदन के इम्पीरियल कॉलेज और सिंगापुर के ड्यूक-एनयूएस मेडिकल स्कूल ने एक ऐसी दवा विकसित की है, जिसने लैब में चूहों की उम्र 25% तक बढ़ा दी. अगर यह इंसानों पर भी काम कर गई, तो यह इतिहास की सबसे बड़ी मेडिकल सफलता होगी.

अमरता: सिर्फ अमीरों का खेल? लेकिन इस ख्वाब के साथ बड़े विवाद भी जुड़े हैं. SmartWater Group के संस्थापक फिल क्लेरी ने चेतावनी दी है कि अगर यह तकनीक केवल अमीरों तक सीमित रही, तो समाज में असमानता और बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा कि इस दवा से दुनिया में "पॉश, प्रिविलेज्ड जॉम्बी" यानी केवल अमीर लोग अमर बन सकेंगे.

समाज पर असर: अमीर-अमीर, गरीब-गरीब फिल क्लेरी का कहना है कि अमरता की खोज के पीछे अरबपति अपने जीवन को और लंबा करने का स्वार्थ देख रहे हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि ये अरबपति अपनी संपत्ति का इस्तेमाल उन 5 मिलियन बच्चों को बचाने में करें, जो हर साल भूख और इलाज के अभाव में मर जाते हैं. उनका मानना है कि यह दवा समाज में और ज्यादा अन्याय और असमानता को जन्म देगी.

क्या अमरता समाज को बदल देगी? अमरता की तकनीक आने वाले दशकों में समाज के ताने-बाने को पूरी तरह बदल सकती है. लेकिन सवाल यह है कि क्या यह तकनीक सभी के लिए होगी, या फिर सिर्फ एक चुनिंदा वर्ग को ही इसका फायदा मिलेगा? इस पर वैज्ञानिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच बहस जारी है.

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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